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झारखंड प्रदेश के मुखिया के नाम, राज्य वासियों के हित में एक संदेश । डॉ० आलम आरा

 

डॉ० आलम आरा

रांची (झारखंड):

माननीय मुख्यमत्री श्री हेमंत दादा ।

झारखंड सरकार,रांची

सादर जोहार🙏🏼

किससे कहूँ? सो मुंह उठाकर, क्षमा याचना के साथ चली आती हूँ!🙏🏼

दादा, कल हिन्दुस्तान अखबार देखी जिसमें पढ़ा कि  जुलाई तक कोरोना का हाहाकार रहेगा..अब गांवो की ओर तेजी से पैर पसारेगा..!

दादा, भयभीत हूँ .. गांवों में संसाधन की कमी है.. कुछ ऐसा किया जा सकता है दा! जैसे कि प्रत्येक प्रखंड में स्थित कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय को कोविड सेंटर के रुप में विकसित कर दिया जाता। वहाँ कमरे, बेड- बिस्तर, बर्तन, चूल्हे, कम्प्युटर, सोलर, एलेक्टरिसिटी, पानी,मैदान, बागान सब कुछ है। प्रत्येक बिद्यालय में 11th- 12th की कम से कम 50 से 100  बच्चियाँ होंगी।उन्हे शॉट ट्रेनिंग देकर देखभाल के लिये उचित मानदेय के साथ रखा जा सकता है। आगे चलकर सेवा की गुणवत्ता के आधार पर उन्हें रेगुलर भी किये जाने के प्रावधान की योजना हो। इसी तर्ज पे वार्ड बॉय हर गाँव में मिलेंगे। नजदीकी पीएचसी को उस कोविड सेंटर से टैग कर दिया जाता या उनकी निगरानी में रखा जाता।

दादा, जानती हूँ, आपके पास धन की कमी है। लेकिन जब घर में मुसीबत आती है तब लोग अपना घर द्वार तक बेच डालते हैं लेकिन किसी का इन्तजार नहीं करते..जब कि आप रत्न्गर्भा झाड़खँड जैसे राज्य की  अथाह सम्पत्ति के मालिक हैं..आपके इस राज्य में ना जाने कितनी कम्पनियां हैं जो यहाँ हमारे जल- जंगल- जमीन में रहकर फल- फूल रहे हैं। आज उनके भी इम्तहान की घड़ी है। सबसे मदद की मांग मजबूती से की जाय.. टाटा, टिस्को, हिन्डाल्को, सीसीएल, बीएसएल, मोटर्स कम्पनियां, कल- कारखाने, खदान, दुकान आदि बहुत से कारोबार चलते हैं हमारे यहाँ! उनके दिये हुए पैसे से झारखंड वासियों की जान बचाने का अन्तिम प्रयास किया जाय दादा ! आपके यहाँ बहुत से जानकार लोग बैठे हैं वो सही सलाह दे सकेंगे कि कैसे और कहाँ से धन इकट्ठे किये जाएंगे और आज इस महामारी से झारखंड वासियों को बचाने में हर सम्भव मदद ली जा सकेगी..!

दादा, अपनी मातृभूमि झारखंड  की स्थिति बहुत  खराब है..मेरी माँ के साथ साथ पुरा झारखण्ड बीमार है या बिमारी के कगार पर है..बेड ऑक्सीजान डॉक्टर्स नहीं मिल रहे हैं..कोविड तो कोविड, जो सामान्य बिमारी के शिकार हैं वो भी भगवान भरोसे रह रहे हैं..!

दादा प्रखंडवार कोविड सेंटर बना देने से शहरों की भीड़  निश्चित छटेगी और निहायत ही ज़रूरी पेशेंट का भी इलाज आसानी से हो सकेगा। 

दादा, आपसे विनम्र विनती करती हूँ, कुछ भी करके, उगाही करके, जमीनें गिरवी रखके, हम बहनों की टाम- टूम जेवर- गहना आदि ले बेच- बाच कर के या, कुछ भी करके, आपातकालीन व्यवस्था किजीये दादा! प्लीज दादा, कुछ और किजीये!🙏🏼🙏🏼 


क्षमा याचना के साथ🙏🏼🙏🏼:- 

आपकी बहना 

✍️📚 डॉ आलम आरा 

         (राँची,झरखण्ड)

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